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4 Jun 2023 · 1 min read

श्रमेव जयते

बढ़ई के माथे से गिरा पसीने का एक बूंद
लकड़ी पर चमकीला बिन्दु बना देता है
लेकिन रेन्दे का एक आक्रोश
मिटा देता है उसे सदा के लिए
अब रेन्दे का रौब तो देखिए
एक से दो, दो से तीन आक्रोश
करता जा रहा है लगातार
लेकिन उससे बेहतर तो वो पसीना है
जिसकी महक आ रही है
आज भी चंदन की लकड़ी से

✍️_ राजेश बन्छोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024

Language: Hindi
1 Like · 101 Views
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