श्रमिक दिवस 1 मई 2021
जिनके श्रम और हाथों ने, दुनिया नई बसाई है
अपने खून पसीने से, सारी दुनिया चमकाई है
खेती किसानी भवन सड़क, कल कारखाने जिनसे चलते हैं
सारी मानवता को उनके, श्रम के फूल ही मिलते हैं
उनके खून पसीने पर हम, धरती पर सुख से रहते हैं
वे रुखी सूखी खाकर, दिन रात लगे रहते हैं
रोटी कपड़ा और मकान के, स्वप्न में जीवन जीते हैं
नमन तुम्हारे कर्म योग को, नमन तुम्हारे हाथों को
देश और दुनिया में, खून पसीना बहाने वालों को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी