श्रद्घांजलि समर्पित
*कुछ दिन पहले ढाई साल की मासूम बच्ची की निर्मम हत्या किए जाने से मन दुःखी है उस अबोध बच्ची के लिए श्रद्घांजलि स्वरूप मेरी कविता समर्पित
पाप धरा पर इतना फैला,
हुआ सत्य का दामन मैला।
नीच अधर्मी पापी सारे,
कन्या के निर्मम हत्यारे।
जिस बाला ने शब्द न सीखा,
दर्द से उसका गला था चीखा।
जग में होंगे जब ऐसे रक्षक,
बन जाते जो ख़ूनी भक्षक।
कांप उठे थे धरती अम्बर,
कब तक होंगे ये आडम्बर।
उस नन्ही का था क्या दोष,
क्या वो थी परिवार पे बोझ।
बोझ तो सारे बाशिन्दे है,
ये वहशी ख़ूनी दरिंदे है।
माँ के बेटों आज बचा लो,
भारत माँ की लाज बचालो।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार