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2 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

तुम्हारे शहर की मस्त हवा रूमानी हो गई है।
तुम्हारी गलियों की फिज़ा मस्तानी हो गई है।
तुम्हारे घर का आंगन चमन सा महक गया है।
यह देख मेरी चाल शराबी सी लड़खड़ा गई है।
विपिन

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