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16 Nov 2023 · 1 min read

श्याम जी

नाग की सवारी करे राधा संग पानी भरे
नर तन नारी का जो रूप धरे श्याम जी ।

बाँसुरी की तान पर नाचें मोर गाय खर
कलयुगी अवतार एक कृष्ण नाम जी ।

कबीर के दोहे में वो मीरा के भजन में वो
सुर नर मुनि जन भजे राधेश्याम जी ।

भाद्रपद मासारंभ रोहिणी का तेज ले के
दिन रात्रि बारा बजे आए प्रभु धाम जी ।

पांडवों को हारा देख नीर बहा यमुना का
कौरवों की छाती लाँघ और संहार कर ।

रज चरणों की चख, प्रल्हाद सा भाव रख
सांवले से रंग पर यथार्थ वार कर ।

विकल चंचल मन माटी मोल यह तन
चल सत्य की डगर जग उद्धार कर ।

उर वेदना अथक रख न तू कोई शक
हृदय की तड़पन प्रभु स्वीकार कर ।

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