Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2022 · 2 min read

“पिता और शौर्य”

मेरा भी घर था, मेरा भी परिवार था,
मेरी भी एक मोहब्बत थी जिससे मुझे बेइंतहा प्यार था,
मेरी भी एक दास्ताँ थी, शुरू हुई जवानी थी,
पहाड़ों की वादियों में छुपी मेरी भी एक कहानी थी,
हँस-मुख सा चंचल मैं मस्त मगन रहता था, एक लेखक बनने की चाहत को दिल में लिए फिरता था,
मगर अपने पिता और दादा जी जैसा फ़ौजी बनने का जुनून मेरी चाहत से ज्यादा था,
18 साल की उम्र में मेरे घर एक चिट्टी आई मेरी माँ और घर से दूर वो मुझे खिंच लाई,
4 साल की ट्रेनिंग में माँ और घर की याद बहुत सताई,
फ़िर कंधों में 2 सितारे ऐसे चमके, आसमान के हज़ारों सितारे भी उनके सामने फिके लगे,
अफसर बन के ठाट की ज़िन्दगी अगर बिताता तो पिता के वचन का मूल कैसे चुकाता,
उनकी तस्वीर को किसी फूल की माला से नहीं अपने मैडल से जो सजाना था, अपने आप से किया ये मैंने वादा था,
उनकी तरह मैंने भी बलिदान के शब्द को पहचाना था,
लेके अपना बस्ता कमांडो ट्रेनिंग स्कूल बढ़ चला,
कीचड़ के पानी से मेरा स्वागत हुआ, फ़िर अपने एक पसंदीदा हथियार को मैंने चुना,
7 दिन तक भूखा-प्यासा बस दौड़ता रहा, 6 महीने की वो कठोर परीक्षा के बाद 9 पैरा स.फ के बलिदान बैज को हासिल किया,
अब मुझको राण भूमि में जाना था क़र्ज़ था जो देश का मुझपे वो चुकाना था,
मणिपुर में मेरी पहली पोस्टिंग और माँ का वो काँप जाना था, ज़िंदा लौटूंगा माँ ये झूठा वादा माँ से करना मेरा आम था,
यूँ तो जब-जब मैं सरहद पे जाता एक तस्वीर बट्वे से निकल के उसे बात करने लग जाता, इश्क़ था अधूरा मेरा बच्पन का प्यार था सोच के उसके बारे में आँसू चुपके से बहता था,
आँसू जब भी आते थे तो कभी 0डिग्री में जम जाते या तो 50 में सुख जाते थे,
जब कभी छुट्टी में घर जाता एक इमरजेंसी कॉल आ जाता, जंग के लिए फ़िर से मैं सज्ज हो जाता,
शादी की तारीख नज़दीक थी मेरी उस रोज़ भी ऐसा ही कॉल आया था,
युद्ध भूमि में मुझे टीम लीड करने को बुलाया था,
सीने में 2 गोली और पैर में 4 खा के भी मैंने दुश्मन को मार गिराया था,
आज अपने पिता की फोटो को मैंने अपने मेडल्स से सजाया है,
क्योंकि राण भूमि में मैंने भी अपना रक्त बहाया है,
आज ज़िस्म में वर्दी नहीं है तो क्या हुआ गोलियों के निशा को मैंने अपने जिस्म में शौर्य की तरह सजाया है।
“लोहित टम्टा”

5 Likes · 6 Comments · 464 Views

You may also like these posts

जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
Ravi Prakash
#शुभ_प्रतिपदा
#शुभ_प्रतिपदा
*प्रणय*
हिस्से की धूप
हिस्से की धूप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मन का डर
मन का डर
Aman Sinha
महल था ख़्वाबों का
महल था ख़्वाबों का
Dr fauzia Naseem shad
शैर
शैर
कवि कृष्णा बेदर्दी 💔
कीमत बढ़ानी है
कीमत बढ़ानी है
Roopali Sharma
मुकाम
मुकाम
Swami Ganganiya
इंजीनियर, लॉयर, एथलीट के बाद अब रॉयल ऑफिसर नरेंद्र ढिल्लों
इंजीनियर, लॉयर, एथलीट के बाद अब रॉयल ऑफिसर नरेंद्र ढिल्लों
सुशील कुमार 'नवीन'
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
शिखर पर साध्वी प्रमुखा
शिखर पर साध्वी प्रमुखा
Sudhir srivastava
लतियाते रहिये
लतियाते रहिये
विजय कुमार नामदेव
Why am I getting so perplexed ?
Why am I getting so perplexed ?
Chaahat
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
*आँसू मिलते निशानी हैं*
*आँसू मिलते निशानी हैं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मसल डाली मेरी इज्जत चंद लम्हों में
मसल डाली मेरी इज्जत चंद लम्हों में
Phool gufran
" गुनाह "
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम का घनत्व
प्रेम का घनत्व
Rambali Mishra
भावना में
भावना में
surenderpal vaidya
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हे कान्हा
हे कान्हा
Mukesh Kumar Sonkar
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
Akash Agam
वादों की तरह
वादों की तरह
हिमांशु Kulshrestha
The reflection of love
The reflection of love
Bidyadhar Mantry
प्रिय
प्रिय
The_dk_poetry
Har Ghar Tiranga
Har Ghar Tiranga
Tushar Jagawat
यह मेरी मजबूरी नहीं है
यह मेरी मजबूरी नहीं है
VINOD CHAUHAN
वार्ता
वार्ता
meenu yadav
Loading...