शौक या मजबूरी
कर्ता कारक, उद्देश्य-लक्ष्य में परिवर्तित।
कारण शौक है या मज़बूरी।
सामंजस्य , कुछ अजब सा है इंगित।
पास ला देता ही है, दुरी।
नृप मारे मृग शौक से।
थी न उसकी कुछ भी मज़बूरी
मिल जाता वह किसी भूखे को
विलुप्त हो जाती उसकी, भूख थोड़ी।
शौक नहीं है, दुःख में जीना
सीखा देती है मज़बूरी
मुफ्त में वह पाता नहीं कभी ,
करता है जो मजदूरी।
शौक से लक्ष्य पाता वह साधक
होवे जिसके पास सब साधन।
बिन साधन रहे शौक अधूरी
ढाल बन जाये तब मज़बूरी।
करता कारक कर्म तभी सब
शौक हो या हो मज़बूरी।
पहुंचा दे यह दोनों लक्ष्य तक।
करा दे साधक की इच्छा पूरी।।
कर्ता कारक, उद्देश्य-लक्ष्य में परिवर्तित।
कारण शौक है या मज़बूरी।