शौक मर गए सब !
कहते तो हैं लोग ,
की शौक बड़ी चीज है ।
अपने शौक को जिंदा रखो ।
और हम भी यह मानते है ।
मगर कैसे ?
हकीकत तो कुछ और ही कहती है ,
जिंदगी हर पल संघर्षों से गुजरती है ,
हर पल बदलती रहती है ।
हालात भुला देते है ,सब मस्तियां ।
सारे हुनर ,और सारी समझदारियां ।
कुछ घर गृहस्थी की जिम्मेदारियां ,
कुछ वक्त की नफरमानियां ,
कुछ किस्मत की चाल बाजियां ,
सारे शौक छीन लेती हैं।
कहां से और कैसे रखें हम अपने शौक को जिंदा ?
जिंदगी में रह जाती है बस एक तड़प ,
एक कसक और बहुत सारी परेशानियां ।
शौक मर गए सब ,
रह गई उनकी यादें !
आह!! वक्त और हालात की कार गुजारियाँ ।
अब तो मन भी साथ नहीं देता ,
सारा उत्साह ,लगन और जोश खत्म हो गया,
दिमाग भी जड़ हो गया ,
कैसे पूरे करें अपने शौक ,
कैसे जिंदा करें अपनी वही पुरानी मस्तियां ?
खत्म हो गया सबकुछ ,
नहीं बची आशा की कुछ निशानियां ।