शोर शोर
क्यों दिल में उठ रहा है बार-बार यह शोर
यह दिल में उठ रहा शोर क्यों कह रहा है बार-बार यह
क्या पाया तुमने अपने आत्म सम्मान को क्या खो दिया तुमने अपने खुद को
कहां ढूंढ रही हो आज तुम खुद को क्या पा लोगे तुम खुद को
जिन पर किया भरोसा वह नहीं थे तेरे भरोसे के खातिर
क्या तेरे विश्वास के साथ धोखा किया तेरे विश्वास को चकनाचूर
आज खुद को पाया है खुद अकेले खड़े ऐसी भीड़ से दूर ऐसे शोर से दूर ही अच्छा है
मिल रहा है सुकून आज कहीं तुझे पर
न जाने क्यों उठ रहा है बार बार यह दिल में शोर
ना कर खुद को इतना कमजोर बना अपने आप को इतना मजबूत
की पाना है अपने खुद के आत्मसम्मान को को दिख गया असली चेहरा इस जमाने के लोगों कापर
न जाने क्यों उठ रहा है बार बार यह दिल में शोर
ना कर खुद को इतना कमजोर बना अपने आप को इतना मजबूत
की पाना है अपने खुद के आत्मसम्मान को को दिख गया असली चेहरा इस जमाने के लोगों का
इस दिल के उठ रहे शोर को कर लेना शांत जरा
ना दुखाना दिल अपना खुद का खुद को अपना मजबूत है बनाना खुद को है समझाना
पाना है अपना वजूद है अब बनाना है अपना खुद का आत्म सम्मान भी
जब करोगी खुद का सम्मान तुम तो जमाना खुद का आत्म सम्मान भी
जब करोगी खुद का सम्मान तुम तो जमाना भी करेगा सम्मान तेरा
***नीतू गुप्ता