शोभा की अभिव्यक्ति
“शोभा की अभिव्यक्ति”
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क्या शोभा ?
अभिव्यक्त हो सकती है !
हाँ …………………..
शोभा कि अभिव्यक्ति
हो सकती है |
पर ! यह मुश्किल तो है
लेकिन नामुमकिन नहीं !
गर गौर करें तो
अभिव्यक्त कर सकते हैं
हम शोभा के यथार्थ
और अस्तित्व को……….
स्नेहिल नजरों से !
दिल के एहसास से !
हृदय की धड़कन से !
और मन की तड़पन से !!
क्यों कि शोभा………….
निराकार है !
एकाकार है !
अनिर्वचनीय है !
शोभा का वर्णन
शब्दों से संभव नहीं है |
इसे जानने के लिए
आत्मसाक्षात्कार होना चाहिए
खुद का खुद से !
ताकि उद्भव हो
जानने की जिज्ञासा…..
और पहचाने की शक्ति
वह शोभा ही है…………
जो संसार है !
अलंकार है !
श्रृंगार है !
और
मोतियों जैसा हार है ||
कहने को तो
एक शब्द है
लेकिन अभावों में
शोभा ही एक भाव है ||
यह भक्ति में समाहित
एक शक्ति है…………
बस ! यही सार्थक और
सारभूत अभिव्यक्ति है !
शोभा की ||
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डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”