*शोध प्रसंग : क्या महाराजा अग्रसेन का रामपुर (उत्तर प्रदेश) में आगमन हुआ था ?*
शोध प्रसंग : क्या महाराजा अग्रसेन का रामपुर (उत्तर प्रदेश) में आगमन हुआ था ?
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दिनांक 19 नवंबर बृहस्पतिवार 2020 को आचार्य विष्णु दास शास्त्री का टेलीफोन आगरा से मेरे पास आया । आपने प्रश्न किया “रामपुर में अग्रवालों की कितनी संख्या होगी ?” मैंने कहा “अनुमानतः 5000 से ऊपर होंगे ।”आपने प्रफुल्लित होकर कहा कि निश्चित रूप से रामपुर उन स्थानों में है जहाँ महाराजा अग्रसेन ने भारत-भर की यात्रा की थी । आचार्य जी ने बताया कि वह एक पुस्तक लिखने जा रहे हैं जिसमें महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवनकाल में हिंदुस्तान के जिन – जिन शहरों आदि की यात्रा की थी ,उनका यात्रा वृतांत सामने रखा जाए । उद्देश्य यह है कि जिन स्थानों पर महाराजा अग्रसेन के चरण पड़े ,वह स्थान धन्य हो गए तथा अग्रणी स्थिति में आ गए।
आचार्य श्री ने कहा कि यात्रा के इन पड़ावों में बनारस ,दिल्ली ,मेरठ, हरिद्वार तथा उत्तराखंड ,पूर्वोत्तर भारत के अनेक स्थान इस यात्रा – क्रम में आते हैं।
रामपुर के संबंध में इस यात्रा को किस प्रकार शामिल किया जाए, इसका दायित्व आचार्य जी मुझे भी देना चाहते थे । मैंने उन्हें अपना असमंजस बताया कि जब तक कोई आधार मेरे पास न हो ,मैं इस यात्रा वृतांत में रामपुर को किस प्रकार शामिल करूँ?
लेकिन इसमें संदेह नहीं कि महापुरुष अपनी अलौकिक चेतना से उन सारे दृश्यों को देख पाते हैं तथा इतिहास की उन घटनाओं का दर्शन कर लेते हैं जो सामान्यतः उपलब्ध नहीं होतीं । संभवतः आचार्य विष्णु दास शास्त्री उन अलौकिक महापुरुषों में से हैं। वह इस बात पर रोशनी डाल सकते हैं कि महाराजा अग्रसेन जल और थल मार्ग से रामपुर किस प्रकार पधारे और उनके पदार्पण से यह स्थान अपार उन्नति को प्राप्त हुआ ।
रामपुर का अग्रवालों से कम से कम सैकड़ों वर्ष पुराना इतिहास तो जुड़ा हुआ है ही । रामपुर एक प्राचीन हिंदू नगर था ,जिस पर आजादी से लगभग 200 वर्ष पूर्व अफगानिस्तान के युद्धप्रिय तथा बुद्धि चातुर्य से भरे हुए योद्धाओं ने अधिकार जमा लिया था। इससे पहले यहाँ राजद्वारा नामक मोहल्ला घनी आबादी का बसा हुआ था , यह सर्वमान्य ऐतिहासिक तथ्य है । राजद्वारा शब्द स्वयं में एक राजसी वैभव को दर्शाने वाला शब्द है । राजद्वारा के आस-पास ही पुराना किला तथा तत्पश्चात नया किला निर्मित हुआ। पुराना किला भी इस बात का प्रमाण है कि रामपुर एक प्राचीन राजद्वारा – केंद्रित हिंदू शहर रहा है। अग्रवाल रामपुर में कब से बसे तथा कहाँ से आए तथा किस – किस प्रकार से उनका रामपुर से संबंध जुड़ा , इसका कोई ऐतिहासिक वृतांत उपलब्ध नहीं है । लेकिन रामपुर निवासी अग्रवालों का पिछला कम से कम एक सौ वर्षों का इतिहास विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक उपलब्धियों के रूप में देखा जा सकता है ।
करीब 100 साल बाद जब नवाब कल्बे अली खाँ के शासनकाल में रामपुर शहर के भीतर पहला मंदिर एक गली में स्थापित हुआ, तब वह गली भी राजद्वारा के आसपास का ऐसा क्षेत्र था ,जो न केवल हिंदू बाहुल्य था अपितु जहाँ अग्रवाल बड़ी संख्या में रहते थे ।
जो भी हो आचार्य विष्णु दास शास्त्री मनोयोग से महाराजा अग्रसेन के यात्रा वृतांत की खोज में लगे हुए हैं तथा उस को लिपिबद्ध करना चाहते हैं। ऐसे में रामपुर का महत्व अगर सामने आता है तो यह बहुत प्रसन्नता का विषय है । आचार्य विष्णु दास शास्त्री जी को उनके शोध कार्य की सफलता के लिए हृदय से शुभकामनाएँ। आप श्री अग्रसेन भागवत के रचयिता तथा अग्रभागवत कथावाचक हैं।
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रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451