शोख लड़की
ए शोख लड़की, मुझसे तुम यूं ही इतना खफा क्यों है
जी चाहे तो खता बता के सजा दे दो या माफ कर दो ।
आंखों में काजल तुम लगाती हो, खूब लगाओ न तुम
मुझे इतना बता दो ,दाग मेरे दामन में क्यों लगाती हो?
तुमसे कोई अदावत तो हरगिज़, मैं कर सकता नहीं हूं
मुहब्बत करता हूं मैं , नफरत भी तो कर नहीं सकता ।
चलता हूं सड़क पर, दूर तक नजरों के घेरें में रखती हो
बहकुं नहीं, तो मुहब्बत का इजहार क्यों न करती हो ?
भले ही बांध रखो आंखों पर पट्टी, न देखो कुछ भी
मेरा इंतहान मत लो, मुझे कभी भी किसी से न तोलो।
आपको आपके घर तक पहुंचा दूंगा मैं,छोडूंगा न राह में
इतना न पिया करों, कि घर का रास्ता ही भूल जाओ ।
मुझे मेरा ही ठिकाना याद नहीं, किस दिल में घर है मेरा
मेरा आरजू जरा सुन लो, बस अपने पापा से मिला दो ।
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@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर