शोक-काव्य
क्यों
उसके पैरों को
तुम घृणा की नजर से
देखते हो ,
क्या !!
उसके पैर
मात्र घृणा के पात्र हैं ?
नहीं !!
उसके पैरों में पड़ी
असंख्य बिवाइयां
गवाही देती हैं-
उस पर हुए
असहनीय अत्याचारों की ,
जिसके बदले
उसके मुंह से मुख से आह तो नहीं निकली
परंतु
एक बिवाई और फट गई l
उसके पैर यों लगते हैं
मानो ,
समग्र जीवन की
विषद्ताओं को
परिलक्षित करने वाला
शोक काव्य हो l