Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2021 · 1 min read

शैलपुत्री

जगत धारिणी तुम ही दुख हारिणी
नमो नमो शैलपुत्री हिमाचल नंदिनी

शैल खण्ड से जन्मी तुम कहलाओ
हिमालय के घर अवतरित शैल पुत्री

नंदी पर सवार शैल पुत्री विराजमान
नवरात्रि में माँ का हर घर है आह्वान

दांये हाथ त्रिशूल सोहे है सुशोभित
करे धर्म अर्थ मोक्ष को जो संतुलित

बायें हाथ कमल पुष्प करे संकेतित
स्थूल जगत में जीवन है आशातीत

मन को देती है शैलपुत्री सक्रियता
विचारों को देती चट्टान सी स्थिरता

अन्तर्मन में व्याप्त करती है माँ उमंग
जीवन में भर देती है माँ सतरंगी रंग

ऋद्धि सिद्धि की तुम हो माँ दायिनी
महिमा तेरी हर जन ने है माँ मानी

नमो नमो शैलपुत्री पधारे घर हमारे
नमो नमो शैलपुत्री हरो कष्ट हमारे

Language: Hindi
79 Likes · 3 Comments · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
कवि रमेशराज
किसी को आईना
किसी को आईना
Dr fauzia Naseem shad
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
वीर बालिका
वीर बालिका
लक्ष्मी सिंह
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
* बताएं किस तरह तुमको *
* बताएं किस तरह तुमको *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
"आठवाँ अजूबा "
Dr. Kishan tandon kranti
पागल प्रेम
पागल प्रेम
भरत कुमार सोलंकी
अनुरक्ति की बूँदें
अनुरक्ति की बूँदें
singh kunwar sarvendra vikram
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
नई दृष्टि निर्माण किये हमने।
नई दृष्टि निर्माण किये हमने।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
sushil yadav
पद्धरि छंद ,अरिल्ल छंद , अड़िल्ल छंद विधान व उदाहरण
पद्धरि छंद ,अरिल्ल छंद , अड़िल्ल छंद विधान व उदाहरण
Subhash Singhai
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कबूतर
कबूतर
Vedha Singh
"की टूटे हुए कांच की तरह चकना चूर हो गया वो
पूर्वार्थ
இந்த உலகில் எல்லாமே நிலையற்றது தான் நிலையானது இன்று நாம் நின
இந்த உலகில் எல்லாமே நிலையற்றது தான் நிலையானது இன்று நாம் நின
Otteri Selvakumar
लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
देवी,शक्ति और जगदम्बा
देवी,शक्ति और जगदम्बा
Chitra Bisht
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
Ranjeet kumar patre
4341.*पूर्णिका*
4341.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिछले पन्ने भाग 2
पिछले पन्ने भाग 2
Paras Nath Jha
ख्याल
ख्याल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...