Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2023 · 1 min read

“शेष”

अतृप्ति, असन्तोष, उत्कंठा
और अनन्त तलाश….
तलाश किसकी?
नहीं ज्ञात
अनवरत अज्ञात तलाश…।
हर्ष,समृद्धि, प्रेम सब प्राप्य
समस्त संवेगों से परिपूर्ण हृदय
और प्रकृति के समस्त ऋणों से
उऋण देह…।
पुष्प पल्लवित उपवन
और मिश्री -सी मीठी तोतली वाणी
प्रेम – घन से भीगता आँगन
आदर्श माँ और गृहिणी के
तमगों से सम्मानित
और इस तेज से दमकता मुखमण्डल…!
किन्तु,
तृप्ति मे यह कैसी अतृप्ति…?
उल्लास मे यह विषाद कैसा.. ?
और सन्तुष्टि मे प्रतीक्षा कैसी?
क्या है,
जो अभी पाना है शेष…?
©निकीपुष्कर

3 Likes · 4 Comments · 176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
नूरफातिमा खातून नूरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
2850.*पूर्णिका*
2850.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
शिव प्रताप लोधी
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
कवि रमेशराज
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
■ 100% यक़ीन मानिए।
■ 100% यक़ीन मानिए।
*प्रणय*
*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
Ravi Prakash
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
Neeraj Agarwal
किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र,
किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिव स्तुति
शिव स्तुति
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हवस अपनी इंतहा पार कर गई ,
हवस अपनी इंतहा पार कर गई ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*मैं शायर बदनाम*
*मैं शायर बदनाम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
Bodhisatva kastooriya
बात हमेशा वो करो,
बात हमेशा वो करो,
sushil sarna
"मंजिल"
Dr. Kishan tandon kranti
नमन वंदन सदा करता।
नमन वंदन सदा करता।
अरविंद भारद्वाज
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
कड़वा है मगर सच है
कड़वा है मगर सच है
Adha Deshwal
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वीर बालिका
वीर बालिका
लक्ष्मी सिंह
किसी के दुःख को अपनें भीतर भरना फिर एक
किसी के दुःख को अपनें भीतर भरना फिर एक
Sonam Puneet Dubey
24)”मुस्करा दो”
24)”मुस्करा दो”
Sapna Arora
"हमारे बच्चों के भविष्य खतरे में हैं ll
पूर्वार्थ
अंधेरी रात में भी एक तारा टिमटिमाया है
अंधेरी रात में भी एक तारा टिमटिमाया है
VINOD CHAUHAN
पृथ्वी की दरारें
पृथ्वी की दरारें
Santosh Shrivastava
आदाब दोस्तों,,,
आदाब दोस्तों,,,
Neelofar Khan
Loading...