शेर
जब भी ये आखें सजल होती हैं
अपने होठों पे एक ग़ज़ल होती है
जाने क्या लिखता रहता हूं आजकल
तेरे जाने से पहले जिंदगी यूं मशरूफ न थी
जब भी ये आखें सजल होती हैं
अपने होठों पे एक ग़ज़ल होती है
जाने क्या लिखता रहता हूं आजकल
तेरे जाने से पहले जिंदगी यूं मशरूफ न थी