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20 Apr 2017 · 1 min read

शेर

क्यूँ नफ़रत के बीज दिल में बोया है आपने
हमें अश्कों के समंदर में डुबोया है आपने

(2)
क्यूँ यकीं आता नही मेरी वफाओं पे तुझे
तेरा ही नाम लेता हूँ मैं तो खुदा से पहले

(3)
हिन्दू मरता है न मुसलमां देता है शहादत
वतन परस्त ही कुरबान होता है वतन के लिये

(4)

हुस्न वालों का जब भी ख़याल आया है
जख़्म दिल का पुराना फिर उभर आया है

(5)

इक दिन बहार बनकर वो आई थी घर मेरे
खुश्बू से उसके आज़ भी मिरा घर महकता है

Language: Hindi
Tag: शेर
259 Views
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