मोहन ने मीरा की रंग दी चुनरिया
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
■ सतनाम वाहे गुरु सतनाम जी।।
किसी को फर्क भी नही पड़ता
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
ऐसे हंसते रहो(बाल दिवस पर)
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
आप मेरे सरताज़ नहीं हैं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
सेंगोल जुवाली आपबीती कहानी🙏🙏
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
*चलो अयोध्या रामलला के, दर्शन करने चलते हैं (भक्ति गीत)*