जीवन पथ
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप (कुंडलिया)*
"रचना अतिथि होती है। जो तिथि व समय बता कर नहीं आती। कभी भी,
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
- बस एक बार मुस्कुरा दो -
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
ये रंगा रंग ये कोतुहल विक्रम कु० स
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
सत्य की जीत
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर