माँ शारदे
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ज़िंदगी सबको अच्छी लगती है ,
■ एक वीडियो के साथ तमाम लिंक।
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुहाना मंज़र
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
बिड़द थांरो बीसहथी, मम मुख कथो न जाय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
इश्क के कई जहाजों सहित.. डूब के किनारे पर आए हैं हम...!!
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
घायल मेरा प्यार....!
singh kunwar sarvendra vikram
दरवाजा खुला छोड़ा था की खुशियां आए ,खुशियां आई भी और साथ में
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*