"Sometimes happiness and peace come when you lose something.
23/161.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
"दिवाली यानि दीपों का त्योहार"
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल सामने आने लगे हैं,
भूल चूका हूँ सब कुछ बाबा- भजन -अरविंद भारद्वाज
फुटपाथ की ठंड
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
यात्राएं करो और किसी को मत बताओ
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
दीप जगमगा रहे थे दिवाली के
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व