"अपनी शक्तियों का संचय जीवन निर्माण की सही दिशा में और स्वतं
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
तूने कहा कि मैं मतलबी हो गया,,
23/175.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
सुन मुसाफिर..., तु क्यू उदास बैठा है ।
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
Ranjeet Kumar Shukla- Hajipur
तन मन धन निर्मल रहे, जीवन में रहे उजास
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
पाने की आशा करना यह एक बात है
ज़िन्दगी का भी मोल होता है ,