मैथिली शायरी
आब त सत्ते गप बजबा मे डर होइए?
बेमतलबो कते लोक दुशमनी जे क लैइए?
कविबर© किशन कारीगर
अहाँक ई बिधपुरौआ वेबहार,
कारीगर के अकक्षाह लगैए?
धनउसनिया हंडि जेंका करिछोंह?
अनमन ओहने सन लगैए?
©किशन कारीगर
केकरो आउग-पाउछ करब सँ बड्ड नीक
ई जे कारीगर यथार्थक नून-रोटी खायत.
कविवर© किशन कारीगर
अनहेर नगर में ठकबाज कहबैका?
आर सभ बेकूफ, कहांदिनु वैह टा प्रकांड बुझैता?
©किशन कारीगर
कारीगर यथार्थो गप कहतअ, तूं किए सुनबह?
तोरा अपने सुआर्थ पिरिए?
त फेर समाज किए सूझतह?
समाज अगुआइ तैं ‘किशन’ इ यथार्थ लिखतह.
©किशन कारीगर
ज अपने घर लब्बर?
त तूं की करबह हौ झब्बर?
©किशन कारीगर
केकरो आउग-पाउछ करबा स बड्ड नीक,
ई जे कारीगर यथार्थक नून-रोटी खायत.
कविवर© किशन कारीगर