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24 Nov 2016 · 1 min read

शेर

“हम दिल को कई रोज़ से बहलाये हुए हैं
काग़ज़ के कबाड़ों से घबराये हुए हैं”

.

.
.
”रौशन रहते थे अपने परिचित बन्दे
अपरिचित हजार नोट से सताये हुए हैं.”

Language: Hindi
Tag: शेर
278 Views

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