शेर
बाँट सकूं गम तुम्हारे बस इतनी सी तमन्ना है!
खुशियों में गर शामिल न करो तो कोई गम नहीं है!!!
रहते हैं संग-संग बहते हैं संग- संग,फिर भी जाने क्यों है दूरियां इतनी!
यूंही चलते-चलते उम्र भर कभी मिल नहीं पाते,जाने कैसे वो दो किनारे हैं!!!
मेरे उसूल मुझे अकसर रूला देते हैं !
कोई शक्ति है जो उन पर चलने की हिम्मत दे जाती है!!!
कामनी गुप्ता ***