शेर
पेशा मजदूरी मजबूरी को सहता हूं
शूर्ख लहू मेरा भी सच सच ही तो कहता हूं
फकत अंतर इतना सा
तुम गगनचुंबी के मालिक
मैं झोपड़पट्टी में रहता हूं ।
राजेश व्यास अनुनय
पेशा मजदूरी मजबूरी को सहता हूं
शूर्ख लहू मेरा भी सच सच ही तो कहता हूं
फकत अंतर इतना सा
तुम गगनचुंबी के मालिक
मैं झोपड़पट्टी में रहता हूं ।
राजेश व्यास अनुनय