मुक्तक
अब और नही होता इंतज़ार तुम्हारा
आँखें चाहती हैं अब दीदार तुम्हारा
हमने अपनी ज़िन्दगी ही तुम्हे सौंप दी
इससे ज़्यादा क्या करें ऐतबार तुम्हारा
अब और नही होता इंतज़ार तुम्हारा
आँखें चाहती हैं अब दीदार तुम्हारा
हमने अपनी ज़िन्दगी ही तुम्हे सौंप दी
इससे ज़्यादा क्या करें ऐतबार तुम्हारा