वही कहानी दोहरा दी गायी
आज फिर वही कहानी दोहरा दी गयी
हादसा बनाकर हक़ीक़त छुपा दी गयी
कहीं अपने दामन पे दाग़ न आ जाए
इसलिए उसूलों पे मिट्टी चढ़ा दी गयी
आज ख़ुदगर्ज़ सियासत की आग में
इंसानियत फिर ज़िंदा जला दी गयी
यहाँ क़ानून भी है अदालतें भी हैं फिर
क्यूँ मुजरिम को खुद ही सजा दी गयी
जाने कितनी बस्तियाँ राख हो जाएँगी
ग़र नफ़रत की चिंगारी को हवा दी गयी