शेर
आज दिल की धड़कन सम्भलती नहीं मुझ से
न जाने क्यों हिचकीयां आ रही मुझे सुबह से
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पढ़ पसीने की बूंदें माथे पे उभर आई
लिखी तेरी बातें मुझे यों झक़झोर गई
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ज़रा से शौक़ ग़र ऊंच्चे ना होते
तो कोई ख्वाब अधुरे नहीं होते
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सजदे करने पे काफ़िर करार मिला मुझे
झुका प्यार में, लोग न जाने क्या समझे
सजन