शेर बुढा हो हो गिरे, गिद्ध चील हैं खाय ।
शेर बुढा हो हो गिरे, गिद्ध चील हैं खाय ।
गरजन रही धरी धरी, जीवन येसे जाय ।।
अंदर जलना नहीं, सहज सत्य जल जाय l
बस ज्यादा पाना नहीं, क्यों चिंतायें पाय ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न
शेर बुढा हो हो गिरे, गिद्ध चील हैं खाय ।
गरजन रही धरी धरी, जीवन येसे जाय ।।
अंदर जलना नहीं, सहज सत्य जल जाय l
बस ज्यादा पाना नहीं, क्यों चिंतायें पाय ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न