शेर ओ शायरी 03
1.मेरे अपनो का जादू कुछ इस कदर छा गया,
मुझे भरत से दुष्यंत, दुष्यंत से अभिनव बना गया,
2. महज कागज के टुकड़े है यह डिग्रिया,
असली तालीम तो है वो जो मां बाप से मिले,
3.आंखे मेरी उदास हो गई तेरे दीदार के इंतजार में,
तू नही आई सामने तेरे हुस्न के अभिमान में,
4. आंखे नम सी दिल उदास सा रहता है आजकल,
तेरी याद आते ही चेहरे पर मुस्कान छा जाती है,
5.कुछ रोज और जी लेता में तन्हाई ए जिंदगी,
तेरी मोहब्बत ने मुझे जीते जी मार दिया,
6.साजिशे चल रही है मुझको बदनाम करने की,
तमाम रंजिशे कर लो पर यह ध्यान रहे कही,
तुम्हारी रंजिशे हमे मशहूर न कर दे जमाने में,
7.साजिशे चल रही है मुझको बदनाम करने की,
रंजिशे भले कर लो बदनाम करने की पर नियत साफ
रखना वरना बदनाम करने आए हो बदनाम होकर जाओगे,
8. राशन कार्ड में तो नाम बहुत है,
मगर दिल की डायरी में जो नाम है अंकित वो हो तुम,
9.मेरा गम मेरा दर्द समझता है ,
मेरा यार है जिगरी वो हर बार समझता है,
मेरी पीड़ा मेरा मन समझता है,
मेरा रूखापन व उलझन समझता है,
जानता है वो मुझको बचपन से ,
जवानी की दहलीज समझता है
मुझे उभारेगा वही जो लाया है इस मोड़ पर,
वही है सच्चा हमराही यही व विश्वास समझता है,
10 – फरवरी –
अधूरा है महीना अधूरे है तुम बिन हम,
मिल जाओ अगर तुम हमको पूरे हो जाए सपन,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
संपर्क सूत्र -7742016184