शेर अज़नबी
कपडों से पहचान करने वाले,
इंसानी पहचान में गच्चा खा गये.
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इतने आसां नहीं रहे सफर,
कभी !
नफरती मिजाज घुले नहीं.
अभी !!
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कुछ हलचल जरूरी है,
कर्म के बाद फल जरूरी है.
किये की पगार ना मिले.
भविष्य क्या होगा .
आज ही निर्णय लेना.
जरूरी है
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नब्ज़ के खोजी.
मर्ज़ के खोजी.
नज्म के खोजी.
होते सदा मनमौजी.
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कपडों से पहचान के खोजी.
नफरती किरदार को न निभा.
ये चाल है,नफरती, सोची समझी.
अब तू ही बता, दिक् अंबरी,नागा.
अभी अभी जन्मे बच्चे.
तुझे मुआफ करेंगे कभी..