शेरो/शायरी रफी साहब
1- वो सुर सरगम वो साज कहाँ
ऐसी दिलकश आवाज कहाँ
हैं तो तमाम दुनियां में फनकार मौसिकी के
वो रफी कहां वो फन कहां वो आवाज-औ-अंदाज कहाँ
2- यूँँ तेरी आवाज के दीवाने हुए बैठे हैं
खुद अपने आप से बेगाने हुए बैठे हैं
सुरों की सुरीली शमां जगमगायी इस कदर
जलने को इस लौ में परवाने हुए बैठे हैं
3- कितने दिल जवां हुये आपकी आवाज पर
कितने दिल फना हुये आपकी आवाज पर
लब से क्या बयां करूँ आवाज की जादूगरी
दीवाने होके रह गये आपकी आवाज पर
M.T”Ayen”