शेरांवाली माँ
****** शेरांवाली माँ ******
***********************
शेरांवाली शेर सवार आई है
पीछे पीछे भक्त कतार आई है
पर्वत शिखर निवास मैया का
पहाड़ों से शीतल बयार आई हैं
सिर पर सुन्दर मुकुट जड़ा है
हाथ में ले कर तलवार आई है
दुखियों की सुनी पुकार माई ने
खुशियों भरी हुई बहार आई है
हलवा पुरी का भोग लगाएंगे
संगत माता के दरबार आई है
जागरण कर माँ को मनाएंगे
घर में खुशियाँ हजार आई है
मनसीरत मन से है पुकारता
नवरंग रौनक बेशुमार आई है
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)