7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
"रचना अतिथि होती है। जो तिथि व समय बता कर नहीं आती। कभी भी,
याद रख इस दुनिया में माँ-बाप के
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
*शिक्षा-क्षेत्र की अग्रणी व्यक्तित्व शोभा नंदा जी : शत शत नमन*
आइये तर्क पर विचार करते है
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
*** मेरा पहरेदार......!!! ***
45...Ramal musaddas maKHbuun