इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
वो राम को भी लाए हैं वो मृत्युं बूटी भी लाए थे,
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
*आजादी हमसे छीनी यदि, तो यम से भी टकराऍंगे (राधेश्यामी छंद )
ग़ज़ल _ करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ।
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
सबसे पहले वो मेरे नाम से जलता क्यों है।
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*