शेखर सिंह ✍️
नहीं तो बेईमान बन जीना कोई नई बात तो है नहीं शेखर
भूल गए एक दिन जलकर राख हो जाना है सभी को
फिर भी हम दिन प्रतिदिन बेईमान क्यों होते जा रहे हैं
स्वास निकलते ही उठा ले जाएंगे चार चार कंधों पर
पता है भूल गए तब भी लूट रहे हो अपने और बेगानों को
आया है जो धरती पर एक दिन चले जाना है फिर भी डर नहीं
इंसान की मौत होते ही दूर हो जाता है परिवार जिसके लिए बेईमान बने
इसलिए इन तस्वीरों पर लिख इन्हें छाप भी रहा हूं
ताकि कुछ कमी आए लूटेरा तक बनने की जिंदगी में
जिंदगी भले चली जाए जिंदगी की तस्वीरें यादों में रहती हैं
बस सभी साफ रखना ताकि बस जाओ सभी की यादों में
इंसानी वही जो छाप छोड़ दे अपनी कुछ अलग से
नहीं तो बेईमान बन जीना कोई नई बात तो है नहीं!!!