शृंगारिक अभिलेखन
शीर्षक : शृंगारिक अभिलेखन
लेखक : डॉ अरुण कुमार शास्त्री – पूर्व निदेशक – आयुष – दिल्ली
हिंदी भाषा उत्तम भाषा ,
ये भाषा हमको बड़ी सुहाती है ।
इसके अभाव में देखो भाइयो ,
पहचान मेरी छुप जाती है ।
हिंदी की बिंदी के कारण ,
मस्तक उन्नत रहता है ।
माथे पर उसके प्रभाव का ,
सूर्य दमकता रहता है ।
हिंदी की बिंदी ने देखो ,
अलग छाप ही छोड़ी है ।
अशिक्षा के अँधियारे में,
ये सब भाषाओं की अग्रणी है ।
संस्कृत इसकी माता प्यारी ,
देव नगर से आई है ।
जिसका स्वागत करने को ,
हिंदी ने बिंदी लगाई है ।
गर्व करो , अभिमान करो ,
ये अद्भुत अलख जगाई है ।
हिंदी सीखो हिंदी सिखलाओ ,
हिंदी ही में कार्य करो ।
पुण्य कार्य ये होगा भाइयों ,
हिंदी का सम्मान करो ।
हिंदी की बिंदी के कारण ,
सबका पढ़ना आसान हुआ ।
अपनी भाषा अपनी बोली ,
माँ भारती का अभिमान हुआ ।
ज्ञान विज्ञान के लौकिक स्तर का,
ओजस्वी अभिसार हुआ ।
हिंदी भाषा उत्तम भाषा ,
ये भाषा हमको बड़ी सुहाती है ।
इसके अभाव में देखो भाइयो ,
पहचान मेरी छुप जाती है ।
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