शृंगारिका
शृंगारिका
नैन चंचल
मिलन विकल
मन आकुल
आतुर मित
रूप शोभित
मन विचलित
तन पल्लवित
शृंगार रचित
प्रेयसी चित्त
अधर लाल
सुकोमल गाल
मृग नयन
छटा मनमोहन
पैजनिया तान
छन छना छन
कर हिल्लोरित
मृदु मृदु चाल
रक्तिम भाल
पिया मिलन
नूपुर कंगन
खनके सुर तान
विरह अगन
सुधि भूलत
सखी चलत
होकर अधीर
प्रीत की पीर
धरे ना धीर
रति -रमन
प्रेमातुर मन
विवेक चिंतन
सुधी ज्ञान भ्रमित
नहीं रुकत
अरी बिरहन
शृंगार सज्जित
प्रीत उल्लासित
“सजन”मिलन अधीर
सजन