शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
हे देवाधिदेव देव गजानन, श्री चरणों में बंदन है
आतंक से पीड़ित मानवता का, तुमसे करुण निवेदन है
हे रिद्धि सिद्धि के दाता भगवन, हे सद्बुद्धि के दाता
हे लंबोदर हे करुणाकर, दुखियों के भाग्य विधाता
हे विघ्न विनाशक हे वर दायक कष्ट हरो,
दुखी है धरती माता
मानवता हो रही दुखारी, हो रही धरा पर हिंसा भारी
जाति धर्म आतंक के बादल, सारे जग पर छाए हैं
मार रहे स्त्री बच्चों को, कैसा आतंक मचाए हैं
हे वक्रतुंड हे महाकाल, अब मानव मूल्य बचाओ
शून्य हो रही संवेदना को, धरती पर फैलाओ
विश्व चेतना मानव मन में, जन-जन में अलख जगाओ
हे आदिदेव श्री गणेश जी, मेरे कष्टों का हरण करो
राम बिलख रही धरती माता है इसका अब कुछ जतन करो सद्बुद्धि आ जाए सभी को, सब मानव मूल्य बढ़ाएं
सुख शांति आ जाए धरा पर, सब गीत अमन के गाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी