शुरुआत तुम से है
बन सको तो बनो इंशान शुरुआत तुम से है
उखाड़ फेको नफ़रत यार बदलाव तुम से है
कब तक जाति मजहब से ग्रसित रहोगे तुम
हर चेहरे में एक चेहरा देखो इलाज तुम से है
उठाओ कलम और लिख डालो प्रेम गीत तुम
समाज में प्रेम की बयार का निज़ाम तुम से है
क़लम बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है कब समझोगे
समाज किस ओर बढ़े इसका अतराफ़ तुमसे है
वो जिनपे कुछ लिख नहीं पाया उन्हें पयाम मेरा
समझते नहीं हो क्या लिखूँ यार कुणाल तुम से है
@कुनु