ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
मै अकेला न था राह था साथ मे
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
मुहब्बत से दामन , तेरा भर रही है ,
सारी रोशनी को अपना बना कर बैठ गए
Pollution & Mental Health
I've learned the best way to end something is to let it star
कम्प्यूटर ज्ञान :- नयी तकनीक- पावर बी आई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'