प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
काश इतनी शिद्दत से कुछ और चाहा होता
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
कितना मुश्किल है जिंदगी को समझ पाना
होठों पे वही ख़्वाहिशें आँखों में हसीन अफ़साने हैं,
हृदय में वेदना इतनी कि अब हम सह नहीं सकते
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
फूल यूहीं खिला नहीं करते कलियों में बीज को दफ़्न होना पड़ता