शुभ संदेश
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सुखद पल
खुशियां अविरल
हैं प्रतिपल
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?हमारा परिवार खुशियों का आशियाना है ।
?यहां हर साथी अपने आप में निराला है ।
?हर दिन यहां बिताना सौभाग्य हमारा है ।
?मन में बहती सब के शीतल अमृत धारा है ।
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प्रभात बेला
गायत्री मंत्र ध्वनि
है शुभ बेला
न हार का रोष
न जीत का शौक
ये वो जोशीले हैं
जिनमें है भागीदारी का जोश ।।
जी हां…
खेल परिसर में चहुं ओर यही दृश्य दिखाई दे रहा था । बैंड समूह की थाप पर कदमताल करती हुई परेड, प्रतिभागी विद्यार्थियों का उत्साह और औत्सुक्य समस्त वातावरण को अपने जोश की तपिश से सराबोर कर रहा था मानो शीत ऋतु ने भी कुहास की चादर को हटाकर मीठी – कच्ची धूप का आंचल फैला लिया हो । छोटे, नन्हें प्रतिभागी खिलाड़ी अपनी – अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे । सभी को मैदान में अपनी प्रतिभा को दिखाने के सुअवसर का बेसब्री से इंतज़ार था । परिणाम की चिंता किसी को नहीं थी शायद यही बालमन इनके बचपन को प्रदर्शित कर रहा था । किसी के मुख मंडल पर हार – जीत का कोई प्रतीक नहीं ये
रोचक दृश्य पूरे परिसर को सुशोभित कर रहा था । परिसर में उपस्थित अभिभावक , शिक्षकगण , अतिथिगण , बच्चे , प्रतिभागी खिलाड़ी एवं अन्य सभी उत्साहित, हर्षित और आनंदित थे ।
प्रधानाचार्य जी के प्रेरणास्रोत रूपी शब्द सुमन विद्यार्थियों के भावी जीवन हेतु मील का पत्थर बन उनको सदैव प्रोत्साहित कर उनकी सफलता का मार्ग दीप्तिमान करते रहेंगे ।
खेलों से बच्चों को प्यार
ये क्या जाने जीत और हार
खेल – खेल में करते हैं
एक दूजे से कई सवाल ।।
कभी रूठ ये जाते हैं
कभी झट मन जाते हैं
खेल – खेल में कभी ये देखो
सीख बड़ी दे जाते हैं ।
इनकी बातों में बचपन है
मीठी बातें मन चंचल है
देख इन्हें मन डोल है जाता
फिर बचपन में हमें ले जाता ।।
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स्वर्णिम प्रभात कलरव आकाश
आपका व्यक्तित्व आदित्य प्रकाश
सदैव मार्गदर्शक; है प्रतिमान
बुद्धि,विवेक,धैर्य,विनय विद्यमान
परिवार में आपका साथ
स्फूर्ति,जोश,ऊर्जा का करता संचार
आपके आशीर्वाद की सदैव है कामना
आपको हमारी ओर से सदैव मंगलकामना
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