शुभ रात्रि मित्रों
शुभ रात्रि मित्रों
सवेरा हर नया आए लिए पहचान नव कोई
नहीं सोना लिए चिंता सजा सपनों का भव कोई/1
नहीं कल का पता जिसको नहीं पल का पता जिसको
यहाँ इंसान जीता क्यों लिए दिल में है रव कोई/2
शब्दार्थ- नव-नया, भव-संसार, रव-शोर-शराबा
शायर- आर.एस.’प्रीतम’