शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
लगादे आग इससे तू बुझा दे प्यास ‘प्रीतम’ की
मिरा आँसू मुहब्बत की यही तुमसे क़दर माँगे/1
सलामत था कहा तब था सितारे तोड़ लाऊँगा
गले से ही लगाले हँस अपाहिज़ अब क़दर माँगे/2
जहां में वक़्त भी क्या-क्या नज़ारे रुत दिखाता है
कभी सिर पर बिठाता है कभी पैरों की ज़र माँगे/3
शायर- आर.एस. ‘प्रीतम’