जिंदगी खफा हो के किनारे बैठ गई है
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
किसी की तारीफ़ करनी है तो..
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
साक्षात्कार- पीयूष गोयल दर्पण छवि लेखक
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम हमारे नाम कर दिया
जब किनारे दिखाई देते हैं !
पता नही क्यों लोग चाहत पे मरते हैं।
*भगवान कृष्ण ने गीता में, निष्काम कर्म को गाया था (राधेश्याम
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तुमने अखबारों में पढ़ी है बेरोज़गारी को