शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
आजकल पाप और पुण्य की परिभाषाएँ बदल रही हैं । पहले आदमी पापकर्म से डरता था । किसी का दिल दुखाने को पाप समझता था । दूसरे की सम्पत्ति को देखकर जलता नहीं था । किन्तु आज आदमी पाप करने से तनिक भी नहीं घबराता । वह येन केन प्रकारेण , धन पाना चाहता है । धन में उसे सुख दिखाई देने लगा है । धनवान की ही समाज में प्रतिष्ठा है । यही कारण है कि वह धन के पीछे भाग रहा है ।
जय श्री राधे !
जय श्री कृष्ण !
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