शुभ धाम हूॅं।
हुस्न की मुझको पहचान है, किंतु मैं।
प्रेमी उत्कर्ष के शीर्ष का घाम हूॅं।
इन निगाहों के आकर्ष से न खिंचू।
पास आओ मुहब्बत का शुभ धाम हूॅं।
धाम=तीर्थ स्थान/देव स्थान/पुण्य स्थान
पं बृजेश कुमार नायक
हुस्न की मुझको पहचान है, किंतु मैं।
प्रेमी उत्कर्ष के शीर्ष का घाम हूॅं।
इन निगाहों के आकर्ष से न खिंचू।
पास आओ मुहब्बत का शुभ धाम हूॅं।
धाम=तीर्थ स्थान/देव स्थान/पुण्य स्थान
पं बृजेश कुमार नायक