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20 Feb 2024 · 1 min read

शुभ धाम हूॅं।

हुस्न की मुझको पहचान है, किंतु मैं।
प्रेमी उत्कर्ष के शीर्ष का घाम हूॅं।
इन निगाहों के आकर्ष से न खिंचू।
पास आओ मुहब्बत का शुभ धाम हूॅं।

धाम=तीर्थ स्थान/देव स्थान/पुण्य स्थान

पं बृजेश कुमार नायक

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