शुभ दिवाली
शुभ दिवाली
दिए जले हैं आंगन में पर पहले सी अब बात कहां।
हुआ उजाला बाहर लेकिन मन में वो सद्भाव कहां।।
गोवर्धन की पूजा भूले ग्वाल बाल तब नचते थे।
झिरका पर लगता था मैला गाय बैल भी सजते थे।।
घर के टिपटी ओंटा लिपते पड़ी रंगोली आंगन में।
पहले सी अब बात नहीं अब तो शहरी जीवन में।।
गांव गांव में लगने वाली है मढ़ई की शान कहां।।
एक दिया सद्भाव का रख दें एक प्रेम का द्वारे।
एक दिया हो सच्चाई का जो साथ रहेगी हमारे।।
एक दिया हो वीरों का जो रक्षा करते हैं हमारी।
कामना है यही प्रभु से हो शुभ दीपावली तुम्हारी।।
उम्मीदों का तेल दीप में सुख वैभव रहें साथ सदा।