#गीत//शुभ दिवाली का संदेश
दीप जलाओ उर-आँगन में ,
तम का पहरा सब मिट जाए।
आँगन-आँगन ख़ुशियाँ झूमें ,
यही दिवाली शुभ सिखलाए।।
राम नाम का जाप रहेगा ,
मन में कैसे पाप रहेगा।
भेद हटेंगे कष्ट कटेंगे ,
प्रेम दीप का ताप रहेगा।
लक्ष्मी पूजन मंगल लाए ,
लक्ष्मी से हर घर भर जाए।
मीठा खाकर मीठा बोलो ,
हर रिश्ता हर्षित हो जाए।
जूआ सट्टा सुरा बुराई ,
कलह बढ़ाते करो विदाई।
काम क्रोध मन लोभ भगाओ ,
अंहकार मोह तजो भाई।
तभी दिवाली बने सुहानी ,
मानव मन से हँसता जाए।
दीपक बाती कहें कहानी ,
हम जैसा ये जग हो जाए।
सही दिवाली तभी मनेगी ,
जब दीपों जैसे हम होंगे।
वाणी-वाणी प्रेम खिलेगा ,
नैन कभी ना फिर नम होंगे।
भ्रम भुलाओ कर्म सुधारो ,
भाग्य स्वयं सबका खिल जाए।
कथनी-करनी एक करो सब ,
हर साल दिवाली बतलाए।
माल मिलावट का बेचो मत ,
यम बनना यारो ठीक नहीं।
कमजोरों का शोषण करना ,
मानव होने की सीख नहीं।
लाज सभी की सम होती है ,
कभी न इसको छीना जाए।
कर्म करो सब सोच समझकर ,
जो सबके चित सदा सुहाए।
फोड़ पटाखे नहीं दिवाली ,
दूषित होती रजनी काली।
शौक़ पालिए हिमकर जैसा ,
करता तारों की रखवाली।
अपना घर ही भरने वालो ,
राह सदा को छोड़ी जाए।
सूरत सच्ची सीरत अच्छी ,
रखके हर मन अब हर्षाए।
जाति धर्म का जो भेद करे ,
नीच कर्म का है अधिकारी।
रावण बनकर नाज़ करे जो ,
उसकी ख़ुद से ही लाचारी।
सम का दम भी समझा जाए ,
सही शब्द को मरहम पाए।
शब्द पढ़े मन धारण करता ,
ज्ञानी एक वही कहलाए।
गिरगिट होकर समदर्शी हैं ,
माया पाकर हैं अभिमानी।
दान करें पर रहे प्रचारी ,
सब सेठों की यही कहानी।
सत्ता पाकर लूट रहें हैं ,
वादों की अनदेखी भाए।
भ्रष्टाचारी अफ़सर बनते ,
फिर भी देश महान कहाए।
#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना