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20 Jun 2024 · 1 min read

शुभांगी छंद

शुभांगी छंद

रहे न मन में,कभी न तन में,दूषित मिश्रण,सजग रहो।
अभ्यंतर में,बाहर अंदर,से रहकर प्रिय,सत्य कहो।।

प्रेम रतन धन,का स्वामी बन,हो शुभ चिंतन,मनहारी।
दैविक मन्थन,सात्विक ग्रंथन,शिव अभ्यर्थन,शुभकारी।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 51 Views

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