शुभांगी।
शुभांगी।
-आचार्य रामानंद मंडल।
रिटायर्ड डीएसपी रंजीत प्रसाद विधुर रहलन। कोनो धिया पुता न रहय।हुनकर एगो दोस्त रहय उमाकांत ।वो हुनकर पुरहित सेहो रहय।दुनू दोस्त खूब शतरंज खेले।कखुंतो डीएसपी साहेब जीत जाय त कखुंतो पुरहित जी।अंतीम जीत पुरहित जीये के होय।
एकटा दिन पुरहित जी डीएसपी साहेब के कहलन -अंहा के लगभग बीस बिघा जमीन हय। पक्का हबेली हय।परंच घरनी बिना सब सुना हय। अंहा विआह न बड़े क लैय छी।
डीएसपी साहेब कहलन -अइ बुढारी मे के अपन बेटी से हमरा से बिआह करतैय।मन त हमरो होइ हय कि कोनो वारिस हो जाय।
पुरहित जी कहलन -हम जोगार लगा देब।परंच अइमे कुछ रुपैया खर्च करे के होयत। लगभग पचीस हजार लागत।
डीएसपी साहेब कहलन -कोनो बात न हय।हम वारिस के लेल रुपैया खर्च करब।
कनिका दिन के बाद पुरहित जी बगल के गांव मे डीएसपी साहेब के एगो स्वजातीय गरीब आदमी मोहन प्रसाद के पचीस वर्षीय लरकी के पता चलल। पुरहित जी मोहन प्रसाद के इंहा गेलन।
मोहन प्रसाद -प्रणाम पुरहित जी।
पुरहित जी -आयुष्मान।
मोहन प्रसाद -अपने कोन काज से अइली हय।
पुरहित जी -ज्ञात भेल हय कि अंहा के बेटी के बिआह रूपैया के अभाव मे न हो रहल हय। अंहा बड चिंतित रहय छी।
मोहन प्रसाद -जी। पुरहित जी।
पुरहित जी -त इ पुरहित कोन काज के।हम एगो लरिका के जनैय छी।लरिका रिटायर्ड डीएसपी हय।वो विधुर छतन। कोनो आल औलाद न हय।जमीन जायदाद के कोनो कमी न हय।वो पड़ोसी गांव के हतन।
मोहन प्रसाद – जी पुरहित जी। डीएसपी साहेब के कोन न जनैत हय।हम अपन बेटी के हुनका से बिआह करे के लेल तैयार छी।परंच हम विपन्न छी।
पुरहित जी -बिआह करे के लेल हम पच्चीस हजार रूपैया देइ छी।
मोहन प्रसाद रुपैया पाके के बजलन -पुरहित जी।बिआह के शुभ लग्न देखल जाव।
पुरहित जी मिथिला पंचांग खोललैन आ पढैत बजलन -अही महिना के एकतीस तारीख के शुभ लगन हय।आब बिआह के सर्वजाम करूं।
मोहन प्रसाद -जी। पुरहित जी।
पुरहित जी बजलन -आबि हम जाइत छी।छेका -छेकी के कोनो बात न। सीधे दिन पर बिबाह होएत।
पुरहित जी डीएसपी साहेब के इंहा अयलन आ सभ बात बतैलन।
एनी मोहन प्रसाद सभ बात अपन पत्नी के बतैलन। पत्नी खुश होइत बोलल -शुभांगी के बड शुभ लक्षण हय।जे ऐते प्रतिष्ठित आ धनी वर मिललय।
शुभांगी सभ बात सुनैत रहय। रिटायर्ड डीएसपी मतलब साठ बरिस के लरिका हय।आंखि से आंसू छलक गेल।परंच माय बाप के विपन्नता के देखैत करेजा के पाथर बना लेलक।
तय दिन पर डीएसपी साहेब आ शुभांगी के बिआह संपन्न भे गेल।दिन बितैत रहय।
शुभांगी आ चालिस वर्षीय पुरहित जी के संबंध भौजाई आ देवर जेका स्थापित भे गेल।परंच बातचीत संबोधन जजमानिन आ पुरहित जी होइत रहे।
बरखे अंदर मे शुभांगी गर्भवती भे गेल।आ दोसर बरख के शुरुआत मे शुभांगी एगो स्वस्थ आ सुंदर लरिका के जन्म देलक।
साल बरख के बाद अचानक हार्ट अटैक से डीएसपी साहेब चल बसलैन।
शुभांगी के उपर दुःख के पहाड़ गिर गेल। शुभांगी के अइ विपत्ति में सहारा बनलन पुरहित जी।परंच इ सहारा केना प्रेम मे बदल गेल से पता न चलल।प्रेम बासना मे बदल गेल।बासना के खेल चलैत रहल।
आबि शुभांगी के लरिका भानु प्रताप युवा भे गेल। शुभांगी अपन बेटा के छत्रछाया में जीवन व्यतीत करे लागल।
पुरहित जी गांव के महादेव मठ के महंत बन गेलन।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।